5 Simple Techniques For हल्दी के चमत्कारी फायदे



चलिए, अब थोड़ा कच्ची हल्दी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में भी जान लेते हैं।

मुँह के छालों का होना पाचन क्रिया के खराब होने के कारण होता है। हल्दी में उष्ण गुण होने के कारण यह पाचकाग्नि को ठीक कर पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करती है, जिससे मुँह के छालों में आराम मिलता है साथ हि इसमें रोपण (हीलिंग) का भी गुण पाया जाता है जो की मुँह के छालों को जल्द भरने में सहायक होती है।

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अगर आप अस्थमा के मरीज हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार हल्दी का नियमित सेवन करें।

आपको सप्लीमेंट्स नहीं लेना है तो हल्दी को खाना पकाने में इस्तेमाल कर सकते है।

• कैंसर रोगियों जिनको कीमो थेरेपी हो रही हो ऐसे रोगियों को हलदी के सेवन से बचना चाहिए यह नुकसान देता है।

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एक चम्मच पिसी हल्दी को एक कप पानी में घोलकर दिन में दो बार रोगी को पिलाने से दस्त आना बन्द हो जाते हैं। 

कम मात्रा में सेवन करने पर भी हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन में शरीर की एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं को बढ़ाने की क्षमता होती है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोषाक क्षमता बढ़ती है और शरीर में रोग पैदा करने वाले किसी भी वायरस को बढ़ने से रोकने में सहायता मिलती है।

एक चौथाई चम्मच हल्दी का प्रयोग दोपहर या रात के भोजन में कर सकते हैं।

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हल्दी हर रसोई में पाया जाने वाला मसाला है। जो खाने का स्वाद और रंग बढ़ाने का काम करती है। खाने के साथ ही इसके कई औषधीय गुण भी है जो विभिन्न रोगों को ठीक करने में काम आती है। ठंड में तो हल्दी का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होता है।

पायरिया की समस्या के लिए हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर मसूड़ों में लगाने से आराम मिलता है। इसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करने से मसूड़ों से जुड़ी सभी प्रकार की समस्या दूर हो जाती है। मसूड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

इसे २० से ३० डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान चाहिए होता है और वार्षिक वर्षा की भी अच्छी मात्रा में आवश्यकता होती है। हल्दी पाउडर का स्वाद कड़वा, गर्म, काली मिर्च जैसा होता है और इसकी सुगंध मिट्टी, सरसों जैसी होती है।

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